45 डिग्री तापमान में पौधों को भीषण गर्मी से कैसे बचाएं ?

गर्मी में सबसे बड़ी चुनैती होती है पौधों को झुलसने से बचाना। अप्रेल, मई, और जून तक अगर सही समय और मात्रा में पानी दिया जाए तो बारिश के मौसम तक पौधों को बचाया जा सकता है, उसके बाद अक्टूबर तक पानी की आवश्यकता नहीं रहेगी। 

आईये इस प्रक्रिया को ग्रीन प्लेनेट सोसाइटी द्वारा लगाए गए जंगल की केस स्टडी से समझते हैं। 

हम यहां एक पौधे को 5 लीटर पानी देते हैं तो अगले 5 दिन तक ये काफी है। हमारा जंगल प्रमुखतः 5 जोन में बंटा हुआ है, हर रोज एक जोन में पानी देने से पांचवें दिन पौधे को पानी दोबारा मिल जाता है।

इसके पीछे 4 मुख्य कारण हैं

1. समय की बचत

क्यों कि हम सभी को पेड़ों की देखरेख के साथ साथ अपने निजी कर्तव्यों को भी निभाना होता है, इसलिए सीमित समय में अपना काम करना होता है। नाप कर पानी देने से कम समय में ज्यादा पौधों को पानी दिया जा सकता है।

2. पानी की बचत

हमारा मकसद इन पौधों को अगले 3 महीने की भीषण गर्मी से बचना है

क्योंकि हर पौधे का काम 5 लीटर पानी से आराम से चल जाता है तो अनावश्यक पानी देने की जरूरत नहीं है।

3. एनर्जी की बचत

कई बार अपनी व्यस्तताओं के चलते सभी सदस्य नहीं आ पाते हैं, इस दौरान केवल एक व्यक्ति भी पूरे जंगल को जोन के हिसाब से पानी दे सकता है, जिस से पौधों को मरने से बचाया का सके।

4. पैसों की बचत

अधिक पानी इस्तेमाल करने के लिए बार बार ट्यूबवेल का इंजन चलना पड़ता है, जिससे डीजल की अनावश्यक खपत होती है, इसलिए सीमित पानी दे कर हम पैसों की बचत भी कर पाते हैं।

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यह पूरी केस स्टडी केवल एक व्यक्ति के 2 घंटे प्रतिदिन (निम्नतम संसाधनों) के आधार पर की गई है। अगर संसाधन और व्यक्तियों की संख्या अधिक है तो पानी देने की फ्रेक्वेन्सी और पानी की मात्रा, दोनों बढ़ाई जा सकती है।

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